Wednesday, 29 May 2013

अक्षर "कहेर-फेर

एक अक्षर के हेर-फेर ने सब कुछ  बदल दिया है ,
बापू के  आदर्शो और नैतिक मुल्यों को बदल दिया है ,
बापू की  "अहिंसा "से "अ "को हटाकर "सत्य"से जोड दिया है ,
"अहिंसा" से  "हिंसा" ,"सत्य" से "असत्य" बनाकर
मानव जीवन का  पतन किया है ,
सबकुछ  बदल  गया है मानव सबकुछ बदल गया है
 एक अक्षर के हेर-फेर ने सब कुच बदल दिया है ,


Saturday, 25 May 2013

मेरे गुरु

मेरे गुरु ,
मेरे भगवान,
मेरे जीवनधन,
अगर आप मुझे बताते है तो
 मैं भूल सकती हूँ 
अगर दिखाते  है तो
मुझे शायद याद रहे
अगर मुझे साथ् साथ् रखे तो
मुझे समझ आ हि जाएगा
जय  हो गुरुदेव

मन का सूकून

जब भी आप सोच मे  आए,
देती  धन्यवाद भगवान को
मुझे ऐस परम साथी  मिला
सदा ही  आपके लिए प्रार्थना करू
कि खुशी और आनन्द आपसे लिपते रहे
मेरे मन को सूकून  मिलता रहे ,
मेरे मन को सूकून  मिलता रहे ,



Friday, 24 May 2013

मन

मन कि दशा बयां करू कैसे ,
कि कोमल है मन इतना ,
कुछ  भी सोचू , कुछ  भी बोलु ,
बिखर ही  जाता है-
गुलाब कि पन्खुरियो कि तरह,
याद आपकी संजोए बैठा येह मन,
किसी और को अनदर  आने कि इजाजत ही  नही,
मै और आप ,आप और मै ,
सिमट गई है दुनिया इसी मे ,
कही  और जाने कि जरुरत ही  नही !

जीवित शक्तियाँ

कलम,कागज ,स्ह्याही ,
स्वयं में मात्र निर्जीव वस्तुए है
लेकिन एक लेखक,कवि साहित्यकार
ईन्ही चीजों के सहारे,
 लिख पाता  है अपनी रचना
और निर्जीव वस्तुए बन जाती है
जीवित शक्तियाँ 

भूल

जड धरा की अटल गहराईयों में डूबकर स्वयं को बना देती निर्मूल,
सिर्फ बनाने एक सुंदर सौरभमय फूल,
लेकिन फूल
ना देख पाता ना पहचान पाता
अपनी हस्ती जड़ को
है उसकी यह कितनी बड़ी भूल !

जिंदगी

जिंदगी ने दिया है धोखा  मुझे,
की जीने की चाह ही न रही,
कैसे बताओ मेरी परेशानी तुझे,
मुझे खुद को ही अब कुछ याद नहीं,
बादले के पीछे छुप  गयी हूँ ऐसे,
पदों की जड़ जैसे धरती के नीचे

चुहिया रानी,

चुहिया रानी,चुहिया रानी,
करती रहती है मनमानी,
सारे घर में दौड़ लगाती,
बदमाशी में कोई उसका न सानी
कभी रसोई तो कभी पूजाघर
घूमती रहती है घर भर
बचों की सहेली है वो,
बड़ो की है वह परेशानी

उमीदे

उमीदो के सहारे जीते है लोग ,
उमीदो के पूरी होने की उम्मीद करते है लोग ,
उम्मीद है क्या,टहलते बादल है रंगीन,
बैठ कब्र पर उमीदो की उम्मीद करते है लोग