Friday, 24 May 2013

भूल

जड धरा की अटल गहराईयों में डूबकर स्वयं को बना देती निर्मूल,
सिर्फ बनाने एक सुंदर सौरभमय फूल,
लेकिन फूल
ना देख पाता ना पहचान पाता
अपनी हस्ती जड़ को
है उसकी यह कितनी बड़ी भूल !

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