जिंदगी ने दिया है धोखा मुझे,
की जीने की चाह ही न रही,
कैसे बताओ मेरी परेशानी तुझे,
मुझे खुद को ही अब कुछ याद नहीं,
बादले के पीछे छुप गयी हूँ ऐसे,
पदों की जड़ जैसे धरती के नीचे
की जीने की चाह ही न रही,
कैसे बताओ मेरी परेशानी तुझे,
मुझे खुद को ही अब कुछ याद नहीं,
बादले के पीछे छुप गयी हूँ ऐसे,
पदों की जड़ जैसे धरती के नीचे
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